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शोध कहते हैं कि मन में आने वाले विचारों में नकारात्मक विचारों की संख्या अधिक होती है। यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारे अधिकतर कार्य नकारात्मक ऊर्जा से प्रेरित होते हैं, जो हमें खुशी व अच्छी सेहत से दूर करते हैं। खुशियां चाहिए तो विचारों को बदलना सीखें।
यू एस नेशनल साइंस फाउंडेशन के अनुसार आमतौर पर एक दिन में करीब 50 हजार विचार आते हैं, जिनमें से 70 से 80% विचार नकारात्मक होते हैं। एक दिन में करीब 40 हजार और एक साल में करीब 1 करोड़ 46 लाख विचार। अब यदि आप यह कहें कि दूसरों की तुलना में आप 20% सकारात्मक हैं, तो भी एक दिन में 20000 नकारात्मक विचार होंगे, जो कि आवश्यकता से अधिक हैं।
क्यों होती है नकारात्मक विचारों की अधिकता
नकारात्मक विचार और भाव मस्तिष्क को खास निर्णय लेने के लिए उकसाते हैं। ये विचार मन पर कब्जा करके दूसरे विचारों को आने से रोक देते हैं। हम केवल खुद को बचाने पर फोकस होकर फैसला लेने लगते हैं। नहीं जान पाते कि स्थितियां उतनी बुरी नहीं हैं, जितनी दिख रही हैं। संकट को पहचानने या उससे बचने के लिए नकारात्मक विचार जरूरी होते हैं, पर रोजमर्रा में हर समय नकारात्मक बने रहने की जरूरत नहीं। इससे नुकसान ही होता है।
सकारात्मक विचार यूं रखते हैं जीवंत
– आशावादी दृष्टिकोण रोजमर्रा के तनाव व डिप्रेशन को कम करता है। हम परिस्थितियों के उज्जवल पक्ष को देख पाते हैं। चिंता और बेचैनी का सामना बेहतर करते हैं। हृदय रोग, मोटापा, ओस्टियोपोरोसिस, मधुमेह की आशंका कम होती है। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार, आशावादी लोगों में हृदयाघात की आशंका कम होती है।
– केंटकी यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट में प्रो. सुजेन विद्यार्थियों पर किए अपने अध्ययन में कहती हैं कि नकारात्मक विचार रखने वाले विद्यार्थियों की इम्यूनिटी कम होती है, वहीं आशावादी दृष्टिकोण से शरीर की ताकत बढ़ती है।
– सकारात्मकता सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाती है। नए विकल्प और चुनावों पर नजर डाल पाते हैं। परेशानी उतनी ही दिखती है, जितनी है। इससे हमें पूरी स्पष्टता के साथ फैसला व चुनाव करने में मदद मिलती है।
– नकारात्मक विचार नया सीखने व नए संसाधन जोड़ने की क्षमता कम करते हैं। नया सीखना, करियर, संबंध और विकास के लिए अच्छा होता है। इससे मिलने वाली संतुष्टि खुशी देती है।
– सकारात्मक दृष्टिकोण के कारण आप अपने ही समान दूसरे सकारात्मक लोगों और विचारों के साथ जुड़ते हैं। कई दोस्त और अच्छे संबंध बनते हैं। संबंधों के सकारात्मक पक्षों को देख पाते हैं, जिससे आपसी संबंध मजबूत होते हैं।
क्या करें
– अपने विचारों पर गौर करें। उन्हें सकारात्मक विचार से बदलें। नकारात्मक शब्दों की जगह सकारात्मक शब्द बोलें।-सुभाष बुड़ावन वाला.,1,वेदव्यास,रतलाम[मप्र]
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