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बैंक बने हैं नए बानियां बूढ़े साहूकार बदल गए!सुभाष बुड़ावन वाला.

koi bhi ladki psand nhi aati!!!
koi bhi ladki psand nhi aati!!!
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खत देखत यार बदल गए
सबरे रिश्तेदार बदल गए
जोंन बात सांची छापत्ते
अब तौ वे अखबार बदल गए
बैंक बने हैं नए बानियां
बूढ़े साहूकार बदल गए
वोटन वारी उठा पटक में
सबरे लंबरदार बदल गए
होत पांव पखरई भड़यन की
अब सब इज्जतदार बदल गए
डाकू
चला रये

बैठे हुकुम अब उनके अधिकार बदल गए
सांचे सब फांके कर रये हैं
देखौ तौ धिक्कार बदल गए
भरे चैत में झर लग रई हैं
भादों, सावन, क्वांर बदल गए!by -सुभाष बुड़ावन वाला.,1,वेदव्यास,रतलाम[मप्र]…….

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