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क्या सिर्फ मैगी में ही हानिकारक तत्व मौजूद हैं?सुभाष बुड़ावन वाला

koi bhi ladki psand nhi aati!!!
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दो मिनट में तैयार हो जाने वाली मैगी नूडल्स को भारत में खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाने पर कई राज्यों में बैन कर दिया गया जबकि कई राज्यों में अभी भी जांच चल रही है, लेकिन इस गौर करने वाली बात ये है कि क्या सिर्फ मैगी में ही हानिकारक तत्व मौजूद हैं? मुंबई में बिकने वाला 64 फीसदी खुला तेल मिलावटी होता है. यह बात पिछले साल भारतीय उपभोक्ता मार्गदर्शक सोसाइटी की एक स्टडी में सामने आई थी.

स्टडी के दौरान तेलों के 291 सैंपल टेस्ट किए गए थे, जिनमें तिल का तेल, नारियल का तेल, सोयाबीन का तेल, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल, सूरजमुखी का तेल, बिनौला तेल भी शामिल हैं. इसके अलावा अनाज, दालों, सब्जियों, मूलों, कंदों में आर्सेनिक खतरनाक स्तर से अधिक पाया गया. इसी तरह 2013 में बड़ोदा के एमएस विश्वविद्यालय द्वारा की गई स्टडी में अनाज, दही, और फलों में कैडमियम खतरे के स्तर से अधिक पाया गया. ये दोनों धातुएं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.

अंडा भी है खतरनाक…
दूसरी चीजों पर नजर डालें तो भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा 2013 में की गई स्टडी के मुताबिक, यूपी के बरेली के अलावा देहरादून, इज्जतनगर कस्बों में 28 फीसदी अंडे ईकोलाई से दूषित थे और पांच फीसदी मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी साल्मोनेला बैक्टीरिया से ग्रस्त थे.

सवाल ये है कि अगर इन सारे प्रोडक्ट में भी खतरनाक रसायन मौजूद हैं और वह जानलेवा हो सकते हैं तो फिर मैगी ही सुर्खियों में क्यों हैं? दरअसल, इसकी लोकप्रियता के कारण मैगी का मामला तेजी से जरूरत से ज्यादा उछला है, क्योंकि कई सारे राज्यों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है और इसके चलते नेस्ले इंडिया अपने इस उत्पाद को भारतीय बाजारों से वापस ले रही है. नेस्ले इंडिया की ओर जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘उपभोक्ताओं का विश्वास और हमारे उत्पादों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है. दुर्भाग्य से हाल के घटनाक्रम और निराधार चिंताओं के कारण उपभोक्ताओं में उत्पाद को लेकर थोड़ी हलचल है, इसलिए इतनी मात्रा में हमने प्रोडक्ट वापस लेने का फैसला किया है.’

बोले केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, ‘गंभीर है मुद्दा’
उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, ‘यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है, क्योंकि यह उपभोक्ताओं की सुरक्षा से संबंधित है, इसलिए सरकार ने पहली बार उपभोक्ताओं की ओर से स्वत: संज्ञान लिया है.’

बता दें कि यह कदम तब उठाया गया है, जब यूपी के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने इस उत्पाद के सैंपल टेस्ट करने के बाद पाया कि इसमें तय सीमा से तीन गुना अधिक सीसा मौजूद है. इस एजेंसी की रिपोर्ट के बाद कई राज्यों में भी मैगी के सैंपल टेस्ट किए गए . जिसके चलते राज्यों में सिर्फ मैगी को प्रतिबंधित ही नहीं किया गया, बल्कि नूडल्स के अन्य ब्रांड पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.

इन चीजों में भी होता है सीसा…
सीसा सिर्फ मैगी में ही नहीं, बल्कि घर के पेंट में भी मौजूद है. सीसा और अन्य कासिनोजेनिक भारी धातु दिल्ली और नागपुर में पालक से लेकर पश्चिम बंगाल में बैगन, टमाटर और बीन्स में भी आमतौर पर पाए गए हैं. खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2011 के अनुसार, मोनो सोडियम ग्लूटामेट (MGS) को पास्ता और नूडल्स में नहीं मिलाया जाना चाहिए. अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा एमएसजी को आमतौर पर सुरक्षित माना गया है. हालांकि भारत में यह हानिकारक माना जाता है. एमएसजी से पैदा होने वाली प्रमुख परेशानियों में मुंह, सिर और गले में जलन, सिर दर्द, हाथों-पैरों में कमजोरी, पेट की गड़बड़ी शामिल हैं.

खाद्य पदार्थो में मिलावट से संबंधित मामलों की संख्या 2011-12 में 764 से बढ़कर 1013-14 में 3,845 हो गई है. यानी आंकड़ों में 403 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.लेकिन क्या इन आंकड़ों से असल तस्वीर साफ हो सकती है?.*दो मिनट में तैयार हो जाने वाली मैगी नूडल्स को भारत में खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाने पर कई राज्यों में बैन कर दिया गया जबकि कई राज्यों में अभी भी जांच चल रही है, लेकिन इस गौर करने वाली बात ये है कि क्या सिर्फ मैगी में ही हानिकारक तत्व मौजूद हैं? मुंबई में बिकने वाला 64 फीसदी खुला तेल मिलावटी होता है. यह बात पिछले साल भारतीय उपभोक्ता मार्गदर्शक सोसाइटी की एक स्टडी में सामने आई थी.

स्टडी के दौरान तेलों के 291 सैंपल टेस्ट किए गए थे, जिनमें तिल का तेल, नारियल का तेल, सोयाबीन का तेल, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल, सूरजमुखी का तेल, बिनौला तेल भी शामिल हैं. इसके अलावा अनाज, दालों, सब्जियों, मूलों, कंदों में आर्सेनिक खतरनाक स्तर से अधिक पाया गया. इसी तरह 2013 में बड़ोदा के एमएस विश्वविद्यालय द्वारा की गई स्टडी में अनाज, दही, और फलों में कैडमियम खतरे के स्तर से अधिक पाया गया. ये दोनों धातुएं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.

अंडा भी है खतरनाक…
दूसरी चीजों पर नजर डालें तो भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा 2013 में की गई स्टडी के मुताबिक, यूपी के बरेली के अलावा देहरादून, इज्जतनगर कस्बों में 28 फीसदी अंडे ईकोलाई से दूषित थे और पांच फीसदी मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी साल्मोनेला बैक्टीरिया से ग्रस्त थे.

सवाल ये है कि अगर इन सारे प्रोडक्ट में भी खतरनाक रसायन मौजूद हैं और वह जानलेवा हो सकते हैं तो फिर मैगी ही सुर्खियों में क्यों हैं? दरअसल, इसकी लोकप्रियता के कारण मैगी का मामला तेजी से जरूरत से ज्यादा उछला है, क्योंकि कई सारे राज्यों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है और इसके चलते नेस्ले इंडिया अपने इस उत्पाद को भारतीय बाजारों से वापस ले रही है. नेस्ले इंडिया की ओर जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘उपभोक्ताओं का विश्वास और हमारे उत्पादों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है. दुर्भाग्य से हाल के घटनाक्रम और निराधार चिंताओं के कारण उपभोक्ताओं में उत्पाद को लेकर थोड़ी हलचल है, इसलिए इतनी मात्रा में हमने प्रोडक्ट वापस लेने का फैसला किया है.’

बोले केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, ‘गंभीर है मुद्दा’
उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, ‘यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है, क्योंकि यह उपभोक्ताओं की सुरक्षा से संबंधित है, इसलिए सरकार ने पहली बार उपभोक्ताओं की ओर से स्वत: संज्ञान लिया है.’

बता दें कि यह कदम तब उठाया गया है, जब यूपी के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने इस उत्पाद के सैंपल टेस्ट करने के बाद पाया कि इसमें तय सीमा से तीन गुना अधिक सीसा मौजूद है. इस एजेंसी की रिपोर्ट के बाद कई राज्यों में भी मैगी के सैंपल टेस्ट किए गए . जिसके चलते राज्यों में सिर्फ मैगी को प्रतिबंधित ही नहीं किया गया, बल्कि नूडल्स के अन्य ब्रांड पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.

इन चीजों में भी होता है सीसा…
सीसा सिर्फ मैगी में ही नहीं, बल्कि घर के पेंट में भी मौजूद है. सीसा और अन्य कासिनोजेनिक भारी धातु दिल्ली और नागपुर में पालक से लेकर पश्चिम बंगाल में बैगन, टमाटर और बीन्स में भी आमतौर पर पाए गए हैं. खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2011 के अनुसार, मोनो सोडियम ग्लूटामेट (MGS) को पास्ता और नूडल्स में नहीं मिलाया जाना चाहिए. अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा एमएसजी को आमतौर पर सुरक्षित माना गया है. हालांकि भारत में यह हानिकारक माना जाता है. एमएसजी से पैदा होने वाली प्रमुख परेशानियों में मुंह, सिर और गले में जलन, सिर दर्द, हाथों-पैरों में कमजोरी, पेट की गड़बड़ी शामिल हैं.

खाद्य पदार्थो में मिलावट से संबंधित मामलों की संख्या 2011-12 में 764 से बढ़कर 1013-14 में 3,845 हो गई है. यानी आंकड़ों में 403 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.लेकिन क्या इन आंकड़ों से असल तस्वीर साफ हो सकती है?.*-सुभाष बुड़ावन वाला.,1,वेदव्यास,रतलाम[मप्र/..*

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