Menu
blogid : 2824 postid : 899464

हम इन जांबाजों को सलाम करते हैं।-सुभाष बुड़ावन वाला

koi bhi ladki psand nhi aati!!!
koi bhi ladki psand nhi aati!!!
  • 805 Posts
  • 46 Comments

हमें अपने सुरक्षाकर्मियों पर गर्व है कि वह कठिन से कठिन परिस्थिति में भी देश की सुरक्षा करते हैं। हमारे सामने दो तस्वीरें हैं। एक तस्वीर में तपता दिन और जलकर राख हो गईं रात है तो दूसरी में बर्प और बफाली हवाओं में पिघल कर जम गए दिन और रात दोनों हैं। राजस्थान के थार मरुस्थल में जून का महीना किसी भी दुश्मन से ज्यादा चुनौती देता है जब तापमान 50 डिग्री से भी ऊपर चला जाता है। उधर दुनिया की सबसे ऊंची युद्ध भूमि सियाचिन में जून के महीने में भी पारा जमाव बिन्दु यानि शून्य से 20 डिग्री नीचे है। सरहद से सरहद तक यह तस्वीरें बताती हैं कि दुश्मन सिर्प सरहद के पार नहीं, वह प्रावृति भी है जो मनुष्य के हौसलों का इम्तिहान लेती रहती है। हम-आप इस मौसम में टिकना तो दूर, सच कहें तो जिन्दा भी नहीं रह सकते हैं। लेकिन मौसम ही नहीं मौत से मुकाबला करते ये जांबाज सिर्प इसलिए पहरे पर हैं कि कोईं घुसपैठिया हमारी सुरक्षा, हमारी एकता और अखंडता की नियंत्रण रेखा न लांघ पाए। अगर आप नायकों को ढूंढ रहे हैं तो यकीन मानिए कि ये हैं हमारे सैनिक हमारे नायक। राजस्थान के थार मरुस्थल में 24 से 30 किलोमीटर प्राति घंटा की गति से लू चलती है। आसमान छूता पारा शरीर की व््िरायाएं धीमी कर देता है। नाक से खून आना, सिर घूमना, उल्टी-दस्त आम है। रेगिस्तान में सांप-बिच्छू भी घातक होते हैं। पिछले साल 15 लोगों को सांप काट चुके हैं। दुश्मन की गोली से जल्दी रेगिस्तान में जवान डिहाइड्रेशन से मर सकते हैं। पानी की उपलब्धता कम होने से कम पानी में काम चलाना पड़ता है। निर्जन रेगिस्तान में तनाव से जुड़े रहे जवानों को दृष्टिचव््रा से भी कईं बार जूझना पड़ता है। बीएसएफ के जांबाज दो-दो के ग्राुप में पेट्रोलिंग करते हैं। एक ग्राुप की शिफ्ट छह घंटे की होती है। दो आब्जव्रेशन प्वाइंट टॉवर के बीच पेट्रोलिंग की दूरी 1200 मीटर होती है। दिन में रेत ऐसा तपता है कि जवानों का शरीर झुलस जाता है। जूते के तलवे अलग हो जाते हैं। पेट्रोलिंग पर जवान नींबू, प्याज, दो बोतल पानी और अस्लाट राइफल ही ले जा सकता है।

प्याज लू का असर कम करती है तो नींबू और पानी डिहाइड्रेशन से बचाता है।

सियाचिन ग्लेशियर में इतनी ऊंचाईं पर शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।

सामान्य व्यक्ति दो कदम चलने में थक जाए, वहां पेट्रोलिंग करते हैं ये जांबाज। ठंड से अंग गलने लगते हैं। 15 सैवेंडभीबिना दस्ताने के बंदूक का ट्रिगर भी पकड़े रखा तो प्रास्टबाइट हो सकता है। हाइपरटेंशन और हाईं बीपी आम है। बर्प की आंधी में पल्मौनरी एडिया (पेफड़ों में पानी भरना) हो सकता है। ठंड की वजह से आग मुश्किल जल पाती है। चावल पकने में एक घंटा लग जाता है।

अंडे तक ठंड से जम जाते हैं। ऐसी अत्यंत कठिन परिस्थितियों में हमारे जवान देश की सुरक्षा में जुटे हैं। हम इन जांबाजों को सलाम करते हैं।-सुभाष बुड़ावन वाला.,1,वेदव्यास,रतलाम[मप्र/..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh