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आदर्श भारतीय नारी पत्नी : खाने में क्या बनाऊं ? पति :: कुछ भी बना लो, वैसे क्या बनाओगी ? पत्नी : जो आप कहो। पति :: दाल चावल बना लो। पत्नी : सुबह तो खाए थे। पति :: रोटी सब्ज़ी बना लो। पत्नी : बच्चे नहीं खाएंगे। पति :: छोले पूरी बना लो। पत्नी : मुझे फ्राइड चीज़ों से हैवी हो जाता है। पति :: अंडा भुर्जी बना लो। पत्नी : आज मंगलवार है। पति :: परांठे? पत्नी : रात को? पति :: होटल से मंगवा लेते हैं। पत्नी : रोज़ रोज़ बाहर का खाना नहीं खाया जाता। पति :: कढ़ी चावल? पत्नी : दही नहीं है पति :: इडली साम्भर? पत्नी : टाइम लगेगा पहले बताना था न! पति :: एक काम करो मैगी बना लो। पत्नी : उससे पेट नहीं भरता। पति :: पास्ता बना लो। पत्नी : उससे लूज़ मोशन नहीं हो जाएंगे? पति :: भिन्डी फ्राई और रोटी बना लो पत्नी : यार भिन्डी को काटने में तो बहुत टाइम लगता है। पति :: फ्रूट सलाद ही खा लेते है। पत्नी : रात को भूख लगेगी। पति :: बेक्ड वेजिटेबल बना लो। पत्नी : उफ़ माइक्रोवेव को भी अभी ही ख़राब होना था। पति :: खिचड़ी ही बना दो। पत्नी : कूकर धुला हुआ नहीं है। पति :: फिर क्या बनाओगी ? पत्नी : जो आप कहें!”मोहब्बत भी उस मोड़ पर पहुंच चुकी है कि.. . . अब Biwi को भी प्यार भरा मैसेज करो.. . . तो वो पूछती है..तुम्हें किसने भेजा है..? ——- एक बात समझ नहीं आती कि मदिरा की दुकान का वास्तु कौन करता है ? . . . चाहे साऊथ की टी हो, नाले पर हो, छितरी-बिथरी हो साउथ दिशा की हो सामने गड्डा हो बिजली का ट्रांसफारमर हो या जितने वास्तु दोष होते हैं वो हों पर भीड़ देखते ही बनती है क्या गजब है भाई। ——————– जन्म-जन्मांतर के टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं, बस सामने वाले को आपसे कोई काम पड़ना चाहिए! एक स्टेशन पर ट्रेन थोड़ी देर ही रुकती थी। जैसे ही ट्रेन रुकी छगन ने प्लेटफॉर्म पर खड़े गोलू को बुलाया। छगन (गोलू से) : बेटा यहां ट्रेन ज्यादा देर नहीं रुकती इसलिए उतर नहीं रहा हूं। तू ये 20 रुपए ले और जल्दी से चार कचौरियां खरीद ले। दो तू खा लेना और दो मुझे दे देना। जैसे ही ट्रेन चलने लगी, गोलू दौड़ता हुआ खिड़की के पास आया और छगन से बोला, ‘दुकानदार के पास दो ही कचौरी थीं, वो मैंने खा लीं। ये रहे आपके दस रुपए।’ *** बीमार का बीमा जीवन बीमा के लिए मंगलू ने डॉक्टर से चैकअप करवाया था। चैकअप की रिपोर्ट की सूचना बीमा कंपनी ने एक चिट्ठी के जरिए भेजी जिसमें लिखा था, ‘हमें खेद है कि आपका बीमा नहीं हो सकता क्योंकि आपको न्यूमोनिया, दमा और कैंसर है।’ फिर दो दिन बाद मंगलू को बीमा कंपनी की एक और चिट्ठी मिली जिसमें लिखा था, ‘माफ कीजिए। पिछली चिट्ठी धोखे से आपके पते पर चली गई थी। आप ठीक हैं। वह रिपोर्ट किसी और की थी।’ मंगलू ने चिट्ठी का जवाब दिया, ‘कोई बात नहीं, मैंने दो दिन पहले ही आत्महत्या कर ली-सुभाष बुड़ावन वाला.,1,वेदव्यास,रतलाम[मप्र/.
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