Menu
blogid : 2824 postid : 946758

विवाह के दौरान अग्नि के समक्ष 7 फेरे ही क्यों लेते हैं?सुभाष बुड़ावन वाला.

koi bhi ladki psand nhi aati!!!
koi bhi ladki psand nhi aati!!!
  • 805 Posts
  • 46 Comments
आखिर हिन्दू विवाह के दौरान अग्नि के समक्ष 7 फेरे ही क्यों लेते हैं? दूसरा यह कि क्या फेरे लेना जरूरी है?
पाणिग्रहण का अर्थ : पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से ‘विवाह’ के नाम से जाना जाता है। वर द्वारा नियम और वचन स्वीकारोक्ति के बाद कन्या अपना हाथ वर के हाथ में सौंपे और वर अपना हाथ कन्या के हाथ में सौंप दे। इस प्रकार दोनों एक-दूसरे का पाणिग्रहण करते हैं। कालांतर में इस रस्म को ‘कन्यादान’ कहा जाने लगा, जो कि अनुचित है।
नीचे लिखे मंत्र के साथ कन्या अपना हाथ वर की ओर बढ़ाए, वर उसे अंगूठा सहित (समग्र रूप से) पकड़ ले। भावना करें कि दिव्य वातावरण में परस्पर मित्रता के भाव सहित एक-दूसरे के उत्तरदायित्व को स्वीकार कर रहे हैं।
ॐ यदैषि मनसा दूरं, दिशोऽ नुपवमानो वा।
हिरण्यपणोर् वै कर्ण, स त्वा मन्मनसां करोतु असौ।। -पार.गृ.सू. 1.4.15
विवाह का अर्थ : विवाह को शादी या मैरिज कहना गलत है। विवाह का कोई समानार्थी शब्द नहीं है। विवाह= वि+वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है- विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना।
विवाह एक संस्कार : अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार होता है जिसे कि विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है, लेकिन हिन्दू धर्म में विवाह बहुत ही भली-भांति सोच- समझकर किए जाने वाला संस्कार है। इस संस्कार में वर और वधू सहित सभी पक्षों की सहमति लिए जाने की प्रथा है। हिन्दू विवाह में पति और पत्नी के बीच शारीरिक संबंध से अधिक आत्मिक संबंध होता है और इस संबंध को अत्यंत पवित्र माना गया है।
सात फेरे या सप्तपदी : हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। विवाह में जब तक 7 फेरे नहीं हो जाते, तब तक विवाह संस्कार पूर्ण नहीं माना जाता। न एक फेरा कम, न एक ज्यादा। इसी प्रक्रिया में दोनों 7 फेरे लेते हैं जिसे ‘सप्तपदी’ भी कहा जाता है। ये सातों फेरे या पद 7 वचन के साथ लिए जाते हैं। हर फेरे का एक वचन होता है जिसे पति-पत्नी जीवनभर साथ निभाने का वादा करते हैं। ये 7 फेरे ही हिन्दू विवाह की स्थिरता का मुख्य स्तंभ होते हैं। अग्नि के 7 फेरे लेकर और ध्रुव तारे को साक्षी मानकर दो तन, मन तथा आत्मा एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं।.सुभाष बुड़ावन वाला.,

आखिर हिन्दू विवाह के दौरान अग्नि के समक्ष 7 फेरे ही क्यों लेते हैं? दूसरा यह कि क्या फेरे लेना जरूरी है?

पाणिग्रहण का अर्थ : पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से ‘विवाह’ के नाम से जाना जाता है। वर द्वारा नियम और वचन स्वीकारोक्ति के बाद कन्या अपना हाथ वर के हाथ में सौंपे और वर अपना हाथ कन्या के हाथ में सौंप दे। इस प्रकार दोनों एक-दूसरे का पाणिग्रहण करते हैं। कालांतर में इस रस्म को ‘कन्यादान’ कहा जाने लगा, जो कि अनुचित है।

नीचे लिखे मंत्र के साथ कन्या अपना हाथ वर की ओर बढ़ाए, वर उसे अंगूठा सहित (समग्र रूप से) पकड़ ले। भावना करें कि दिव्य वातावरण में परस्पर मित्रता के भाव सहित एक-दूसरे के उत्तरदायित्व को स्वीकार कर रहे हैं।

ॐ यदैषि मनसा दूरं, दिशोऽ नुपवमानो वा।

हिरण्यपणोर् वै कर्ण, स त्वा मन्मनसां करोतु असौ।।

विवाह का अर्थ : विवाह को शादी या मैरिज कहना गलत है। विवाह का कोई समानार्थी शब्द नहीं है। विवाह= वि+वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है- विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना।

विवाह एक संस्कार : अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार होता है जिसे कि विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है, लेकिन हिन्दू धर्म में विवाह बहुत ही भली-भांति सोच- समझकर किए जाने वाला संस्कार है। इस संस्कार में वर और वधू सहित सभी पक्षों की सहमति लिए जाने की प्रथा है। हिन्दू विवाह में पति और पत्नी के बीच शारीरिक संबंध से अधिक आत्मिक संबंध होता है और इस संबंध को अत्यंत पवित्र माना गया है।

सात फेरे या सप्तपदी : हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। विवाह में जब तक 7 फेरे नहीं हो जाते, तब तक विवाह संस्कार पूर्ण नहीं माना जाता। न एक फेरा कम, न एक ज्यादा। इसी प्रक्रिया में दोनों 7 फेरे लेते हैं जिसे ‘सप्तपदी’ भी कहा जाता है। ये सातों फेरे या पद 7 वचन के साथ लिए जाते हैं। हर फेरे का एक वचन होता है जिसे पति-पत्नी जीवनभर साथ निभाने का वादा करते हैं। ये 7 फेरे ही हिन्दू विवाह की स्थिरता का मुख्य स्तंभ होते हैं। अग्नि के 7 फेरे लेकर और ध्रुव तारे को साक्षी मानकर दो तन, मन तथा आत्मा एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं।by-.सुभाष बुड़ावन वाला.,

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh