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रसोई की कुछ पुरानी आदतें
दादी-नानी की रसोई की कुछ चीजें आज की रसोई में भी दिखाई देती हैं। कारण यही है कि वक्त के साथ उनके स्वाद ही नहीं, सेहतमंद होने की बात भी साबित हुई है। उन सबमें हमारे पोषण का डेली डोज होता था, जिसे हम हमेशा स्वाद की बात मानते रहे। नैचुरोपैथ विशेषज्ञडॉं. राजेश मिश्र बताते हैं कि उत्तर भारत में सूखे कच्चे आम की फांक डाल कर भोजन पकाना पुराने लोगों की एक सामान्य आदत है। दरअसल इसमें विज्ञान यह है कि जितनी भी प्रोटीन आधारित चीजें होती हैं, उनमें निहित एमिनो एसिड्स को पचाने के लिए खट्टी चीजों का उपयोग करना चाहिए। यही कारण था कि अरहर दाल या चने दाल जैसी भारी दालें भी दादी के हाथ से जब बनती थीं तो सुपाच्य हो जाती थीं। उनकी उस आदत में छिपे स्वास्थ्य के नुस्खे को आज लोगों ने जाना है।’
उत्तर भारत में सब्जी पकाने के लिए लोहे की कड़ाही का चलन काफी पुराना है। लोहे के बर्तन में खाना पकाना आयरन कंटेंट की आपूर्ति में मदद करता है, यह बात लोग अब जानते हैं। मीठे के लिए गुड़ और तरल गुड़ का प्रयोग भी आयरन की प्राप्ति का एक आसान साधन था। लगभग हर दक्षिण भारतीय व्यंजनों में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाने वाला करी पत्ता दरअसल आयरन का बढिया स्त्रोत होता है।
उत्तर भारत में उड़द की दाल से बने व्यंजनों में हींग, लहसुन और अदरक एक अनिवार्य मसाला माना जाता रहा है। खाने वाले को भी बिना इन चीजों के उड़द के नमकीन व्यंजन जैसे कि सर्दियों में बनने वाली साग और उड़द की दाल, उड़द की कचौरियां आदि का मजा नहीं आता। इसमें सेहत की बात यह है कि शरीर में वात बढ़ाने वाली उड़द के इस हानिकारक गुण को लहसुन और अदरक कम कर देते हैं और पोषण बढ़ा देते हैं। उड़द की दाल के दही-वड़े में दही उसके इस तत्व को संतुलित मात्रा में ला देता है।
इडली और दोसे में इस्तेमाल होने वाली उड़द की दाल में भले ही लहसुन उपयोग न होता हो, लेकिन उसके साथ सहजन और हरी सब्जियां पड़ा हुआ खट्टा सांबर खाने को संतुलित बना देता है। भिंडी का छौंक अनिवार्य रूप से अजवाइन और मेथी से होगा, शिमला मिर्च की सब्जी में जीरा जरूर पड़ेगा और सीताफल और अरबी की सब्जी में अजवाइन का छौंक ना लगाओ तो यह खाना बना रहे व्यक्ति के पाकशास्त्र में कम ज्ञान का परिचय माना जाता है। रायते में भुना जीरा मिलाना, देसी घी के छौंक की बजाय उसे खाने में ऊपर से मिलाना, सरसों का तेल आदि ऐसी कितनी चीजें हैं, जिनमें हमारे बुजुर्गों की आदतें ही नहीं, सभी के लिए सेहत का खजाना भी छिपा मिलता है।।-सुभाष बुड़ावन वाला.,/
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