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कभी न अपवित्र होने वाली वस्तुएं हैं, टेन्ट हाउस के रजाई, चादर और गद्दे जिन्हें…… हिन्दू-मुसलमान से लेकर हर जात-पात, वर्ग के लोग इस्तेमाल करते हैं । ये गद्दे-रजाई चादरें शादी-ब्याह से लेकर पूजा पण्डाल तक और धार्मिक कथा से लेकर उठावनी तक हर मौके पर बिछते हैं। इनको कोई सूतक भी नहीं लगता । बाराती भी इन गद्दों पर दारू पीने के बाद उल्टी करते हैं। छोटे बच्चों को सुविधानुसार इन पर पेशाब करा दिया जाता है । इतना ही नहीं, इन पर बिछी चादरों से जूते भी चमका लिये जाते हैं । यही नहीं हमारे वो बाराती जो टॉवेल नहीं लाते वो नहाने के बाद इन्हीं चादरों से रगड़-रगड़ कर शरीर पोंछ लेते हैं। हद तो तब होती है, जब हलवाई इन चादरों में पनीर का चक्का लटका देता है। उसी पनीर से क्या मजे का मटर-पनीर बनता है……!! यहां की रजाईयों में भरी धूल-मिट्टी भी टैंट वालों द्वारा कभी साफ नहीं की जाती और जरूरत पढ़ने पर हम भी झटकार कर मजे से इन्हें ओढ़ लेते हैं। अब आप ही बताइए की क्या हमारा भारत असहिष्णु है?: -सभाष बुड़ावन वाला.,,
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